कर्पूरी ठाकुर (Karpuri Thakur): कौन थे कर्पूरी ठाकुर जिन्हें मिलेगा भारत रत्न?

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कर्पूरी ठाकुर (Karpuri Thakur): भारत के स्वतंत्रता सेनानी, शिक्षक, राजनीतिज्ञ तथा बिहार राज्य के दूसरे उपमुख्यमंत्री और दो बार मुख्यमंत्री रह चुके हैं। लोकप्रियता के कारण उन्हें जन-नायक कहा जाता था।

व्यक्तिगत जीवन: कर्पूरी ठाकुर (Karpuri Thakur): बिहार के जन-नायक

कर्पूरी ठाकुर (Karpuri Thakur) का जन्म भारत में ब्रिटिश शासन काल के दौरान समस्तीपुर के एक गांव पितौंझिया, जिसे अब कर्पूरीग्राम कहा जाता है, में नाई जाति में हुआ था।

उनके पिता गांव के सीमांत किसान थे तथा अपने पारंपरिक पेशा हल चलाने का काम करते थे। भारत छोड़ो आन्दोलन के समय उन्होंने २६ महीने जेल में बिताए थे।

राजनीतिक जीवन

कर्पूरी ठाकुर ने 1952 में पहली बार बिहार विधानसभा का चुनाव जीता और तब से लगातार 1985 तक विधायक रहे। 1967 में वे बिहार के उपमुख्यमंत्री बने और 1970-71 तथा 1977-79 में बिहार के मुख्यमंत्री रहे।

कर्पूरी ठाकुर बिहार के पिछड़े वर्ग के लोगों के लिए एक मजबूत आवाज थे। उन्होंने बिहार में पिछड़ों के लिए आरक्षण की व्यवस्था लागू की। वे एक ईमानदार और दृढ़निश्चयी नेता थे और उन्होंने हमेशा गरीबों और शोषितों के अधिकारों के लिए लड़ाई लड़ी।

कर्पूरी ठाकुर (Karpuri Thakur)

ईमानदारी

कर्पूरी ठाकुर एक बेहद ईमानदार नेता थे। उन्होंने कभी भी अपने पद का दुरुपयोग नहीं किया। वे हमेशा साधारण जीवन जीते थे और कभी भी अपने लिए कोई विशेषाधिकार नहीं मांगे।

कर्पूरी ठाकुर (Karpuri Thakur) के कुछ प्रसिद्ध किस्से

एक बार एक पत्रकार ने उनसे पूछा कि जब आप मुख्यमंत्री थे तो आपने इतनी सारी गाड़ियां खरीदीं। क्या आप इन गाड़ियों को बेचकर गरीबों की मदद नहीं कर सकते थे?

कर्पूरी ठाकुर ने जवाब दिया, “मैंने कोई गाड़ी नहीं खरीदी। ये गाड़ियां सरकार की हैं।”

एक बार उनके एक बहनोई ने उनसे नौकरी के लिए सिफारिश की। कर्पूरी ठाकुर ने उन्हें 50 रुपये दिए और कहा कि "अपना पुश्तैनी धंधा शुरू करो।"
एक बार उनके पिता को एक जमींदार ने प्रताड़ित किया। कर्पूरी ठाकुर ने उस जमींदार के खिलाफ कार्रवाई की और उसे सजा दिलवाई।
जब उनकी बेटी की शादी हुई तो उन्होंने सरकारी गाड़ी से नहीं जाकर टैक्सी से रांची गए।

कर्पूरी ठाकुर (Karpuri Thakur) की मृत्यु

कर्पूरी ठाकुर का 17 फरवरी, 1988 को पटना में निधन हो गया। उन्हें बिहार का जन-नायक कहा जाता है और आज भी लोग उनकी ईमानदारी और दृढ़निश्चय के लिए उन्हें याद करते हैं।

कर्पूरी ठाकुर (Karpuri Thakur)
कर्पूरी ठाकुर (Karpuri Thakur)

FAQs

प्रश्‍न: कर्पूरी ठाकुर का जन्म कब हुआ था?

उत्तर: कर्पूरी ठाकुर का जन्म 24 जनवरी, 1924 को समस्तीपुर जिले के पितौंझिया गांव में हुआ था।

प्रश्‍न: कर्पूरी ठाकुर का जन्म कब हुआ था?

उत्तर: कर्पूरी ठाकुर का जन्म 24 जनवरी, 1924 को समस्तीपुर जिले के पितौंझिया गांव में हुआ था।

प्रश्‍न: कर्पूरी ठाकुर ने कितनी बार बिहार के मुख्यमंत्री के रूप में कार्य किया?

उत्तर: कर्पूरी ठाकुर ने दो बार बिहार के मुख्यमंत्री के रूप में कार्य किया।

प्रश्‍न: कर्पूरी ठाकुर (Karpuri Thakur) की मृत्यु कब हुई?

उत्तर: कर्पूरी ठाकुर की मृत्यु 17 फरवरी, 1988 को पटना में हुई।

Quotes:

संसद के विशेषाधिकार कायम रहे, बढ़ते रहें आवश्यकतानुसार, परंतु जनता के अधिकार भी। यदि जनता के अधिकार कुचले जायेंगे तो जनता आज-न-कल संसद के विशेषाधिकारओं को चुनौती देगी।

कर्पूरी ठाकुर (Karpuri Thakur)

अधिकार चाहो तो लड़ना सीखो, पग पग पर अड़ना सीखो, जीना है तो मरना सीखो।

कर्पूरी ठाकुर (Karpuri Thakur)

निष्कर्ष

कर्पूरी ठाकुर (Karpuri Thakur) एक महान नेता थे जिन्होंने बिहार के विकास और पिछड़े वर्गों के उत्थान के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। वे एक ईमानदार और दृढ़निश्चयी व्यक्ति थे। कर्पूरी ठाकुर, बिहार के दो बार मुख्यमंत्री और आजीवन जनसेवक, अपने ईमानदार जीवन और सामाजिक न्याय के लिए अथक संघर्ष के लिए जाने जाते थे। गरीबों के अधिकारों के प्रबल पैरोकार और पिछड़ों के उत्थान के नायक, कर्पूरी ठाकुर का जीवन बिहार की राजनीति में सदैव आदर्श बना रहेगा।

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